हज़रात, आदाब
हाज़िर है
जनाब अ. सलाम फ़रीदी की गज़ल
वो अक़्ल वो शऊर न दे, ऐ ख़ुदा मुझे
ख़ुद से हक़ीर लगने लगे दूसरा मुझे
फिर मेरी चश्मे-शौक़ की ताक़त को आज़मा
ऐ बरक़े-तूर फिर वही जलवा दिखा मुझे
इंसान जिसमें देख ले खुद अपनी असलियत
मिलता नहीं है ऐसा कोई आईना मुझे
मेरी शिकस्त का यही नासेह बना सबब
दुश्मन से मिलके दोस्त ने दी है दग़ा मुझे
मैं ज़िन्दगी के कर्ब से घबराया जब कभी
यादों ने तेरी बढ़के सहारा दिया मुझे
ममनून यूं फ़रीदी मैं अपनी अना का हूं
हर वक़्त देती रहती है दर्शे-ग़िना मुझे
बेहतरीन....हर शेर बराबर दाद पाने की कुव्वत रखता है| फिर भी जो अशआर अंदर तक उतर गए
ReplyDeleteफिर मेरी चश्मे-शौक़ की ताक़त को आज़मा
ऐ बरक़े-तूर फिर वही जलवा दिखा मुझे
वाह!!
ममनून यूं फ़रीदी मैं अपनी अना का हूं
हर वक़्त देती रहती है दर्शे-ग़िना मुझे
क्या बात है!!!
ब्रह्माण्ड
इंसान जिसमें देख ले खुद अपनी असलियत
ReplyDeleteमिलता नहीं है ऐसा कोई आईना मुझे
..वाह! आइने सच नहीं बोल पाते क्योंकि हम उन्हें अपनी नज़र से देखते हैं।
मेरी शिकस्त का यही नासेह बना सबब
ReplyDeleteदुश्मन से मिलके दोस्त ने दी है दग़ा मुझे
मैं ज़िन्दगी के कर्ब से घबराया जब कभी
यादों ने तेरी बढ़के सहारा दिया मुझे
बहुत खूब, बेहतरीन रचना
http://veenakesur.blogspot.com/
इंसान जिसमें देख ले खुद अपनी असलियत
ReplyDeleteमिलता नहीं है ऐसा कोई आईना मुझे
मेरी शिकस्त का यही नासेह बना सबब
दुश्मन से मिलके दोस्त ने दी है दग़ा मुझे
उम्दा ग़ज़ल !खूबसूरत अदायगी
इंसान जिसमें देख ले खुद अपनी असलियत
ReplyDeleteमिलता नहीं है ऐसा कोई आईना मुझे
बेहतरीन...सलाम साहब को हमारा सलाम...आप उनका कलाम और पढ़वायें...कमाल का लिखते हैं सलाम साहब...हर शेर दाद का हकदार है...शुक्रिया आपका उनकी ये गज़ल हम तक पहुँचाने के लिए...
नीरज
बहुत उम्दा ग़ज़ल,खूब सूरत कलाम .......
ReplyDeleteइंसान जिसमें देख ले खुद अपनी असलियत
मिलता नहीं है ऐसा कोई आईना मुझे
सभी शेर कमाल के !
दाद कुबूल फरमाएं!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteक्या आप भारतीय ब्लॉग संकलक हमारीवाणी के सदस्य हैं?
ReplyDeleteहमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि
फिर मेरी चश्मे-शौक़ की ताक़त को आज़मा
ReplyDeleteऐ बरक़े-तूर फिर वही जलवा दिखा मुझे
इंसान जिसमें देख ले खुद अपनी असलियत
मिलता नहीं है ऐसा कोई आईना मुझे
फरीदी साहब, इन दो अश'आर को पढ़ कर न जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है कि आप तरन्नुम के भी बादशाह होंगे। साफ़ दिख रहा है कि ये कलाम जिस शाइर का है उसने बाकायदा तालीम हासिल की है ग़ज़ल कहने की।
दिली मुबारकबाद।